Poetry

बीती हुई बात।

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सुनो ! पूछा था ना कि तुमने कि तुम्हारी याद आती है कि नहीं।
जानना था ना कि तुम्हारी कमी सताती है कि नहीं?
तो कानों से सुन लो, आखों से जान लो,
चेहरे से पढ लो और दिल से मान लो,
हां! आती थी याद तुम्हारी हर दिन हर रात,
और ले जाती थी मेरा सुकून कुछ आँसुओं के साथ।
तकलीफ होती थी जब तुम्हारी सूरत आखों पर छाती थी,
दिल दुखता था, जब मेरी हर चीज़ पर सिर्फ तेरी परछाई नजर आती थी
जब मेरे हर आंसू पर तुम्हारे चेहरे की तस्वीर बनती थी,
जब सुबह शाम सिर्फ तकलीफ मेरी तकदीर बनती थी,
जब सिर्फ तुम ही मेरा खुदा थे, और खुदा मुझसे दूर था,
तुम शायद समझे ही नहीं, मैं कितना मजबूर था।
गलती किसी की भी हो, कुसूरवार मैं ही होता था,
तुम्हारे तो फिर भी दोस्त थे, अकेले में मै ही रोता था।
पूरी जिन्दगी तुम्हे देकर, तेरे दिल में एक कोना ही तो मांगा था,
सुकून से दो पल तेरी बाहों में सोना ही तो मांगा था।
पर इतना भी दे सकती, ऐसी तेरी औकात कहाँ,
मेरे दिल के करीब रह सके, तुझमे ऐसी बात कहाँ।
और हाँ! याद नही आती अब तुम्हारी, पर तुम पर तरस जरूर आता है,
जब ख्याल तुम्हारा आए तो सिर्फ यही दिल में आता है –
कि जिसमें भरे हो सिर्फ बुरे सपने, तुम ऐसी काली रात हो,
मेरा आज कुछ और है, तुम! तुम बीती हुई बात हो।।

Love is a sweet poison…
नुक्कड़-नाटक

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