प्यास है पानी की
हाथो मे जाम है।
मंदिर बहुत कम है
मदिराल्य तमाम है।
अच्छो पर तो ओट है
गंदे काम सरेआम है।
ना तो दिन मे चैन है
ना ही रात को आराम है।
सब का जीवन खतरे मे है
फिर भी लोग निफराम है।
चारो तरफ एक अलग भीड़ है
चारो तरफ इंसानी कोहराम है।
(सुमित लाकरा)
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