प्यास है पानी की
हाथो मे जाम है।
मंदिर बहुत कम है
मदिराल्य तमाम है।
अच्छो पर तो ओट है
गंदे काम सरेआम है।
ना तो दिन मे चैन है
ना ही रात को आराम है।
सब का जीवन खतरे मे है
फिर भी लोग निफराम है।
चारो तरफ एक अलग भीड़ है
चारो तरफ इंसानी कोहराम है।
(सुमित लाकरा)
मनुष्यता जीवन
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लिखो.गुनगुनाओ.उस पर विचार करो. उसके बाद किसी को सुनाओ। लेकिन इन सब मे एक किर्या बनी रहे वो है होश। होश को साधे रहो होश ना टूटने पाए।........... धन्यवाद
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